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Tuesday, May 15, 2012

मुस्लिम समाज में तलाक का बढ़ता हुआ रुझान, Hindi Section

Hindi Section
मुस्लिम समाज में तलाक का बढ़ता हुआ रुझान
by मौलाना नदीमुल वाजिदी
तलाक की बढ़ती हुए घटनाओं पर दीन पसंद हज़रात की चिंता अपनी जगह सही है, उलेमा की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस रुझान पर अपना ध्यान आकर्षित करें, लोगों को बतलाएं कि इस्लाम में रिश्तए अज्दवाज की किस कदर अहमियत है, और रिश्ते को मुनकता करने से खानदान और समाज पर कितना खराब प्रभाव पड़ता है, अफसोस की बात ये है कि इस्लामी समाज बड़ी तेजी के साथ अपने मूल्यों और परंपराओं से मुन्हरिफ होता जा रहा है, पश्चिमी सभ्यता की नक़ल ने हमारे समाज की स्थिति खराब कर रखी है, सह-शिक्षा, मर्दों और औरतों का आज़ादाना तौर पर मिलना जुलना, बेदीनी का माहौल, आर्थिक समस्याएं, फ़ोवाहिश की कसरत, टीवी और इंटरनेट का गलत इस्तेमाल, इन सब चीज़ों ने मिलकर एक ऐसा माहौल पैदा कर दिया है जहां निकाह जैसे पाकीज़ा रिश्तों की अहमियत का एहसास मफकूद होता जा रहा है, आश्चर्यजनक बात ये है कि अब लड़कियां खुद तलाक की मांग करने लगी हैं, कभी कभी इस मांग के पीछे कोई ठोस और मज़बूत आधार नहीं होता, सिर्फ इसलिए तलाक मांगी जाती है, या ख़ुला किया जाता है कि निकाह का रिश्ता स्वतंत्र जीवन शैली में रुकावट बन रहा था।

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