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28 Jul 2011, NewAgeIslam.Com | |
दारुल ऊलूम देवबंद: एक अच्छे आदमी को नीचा दिखाया गया। | |
फ़िरोज़ बख़्त अहमद
27जुलाई, 2011
बहुत दुःख की बात है कि मौलाना ग़ुलाम मोहम्मद वस्तानवी दारुल ऊलूम देवबंद की मजलिसे शूरा (अधिशासी परिषद) की साज़िश का शिकार बन गये। दारुल ऊलूम देवबंद ने एक प्रगतिशील मौलवी को खो दिया, जो मदरसा शिक्षा में सुधार करना चाहता था। दिल्ली के कुछ उर्दू अखबारों की वफादारी को ताकतवर मदनी परिवार ने वस्तानवी को बदनाम करने के लिए खरीद लिया था ताकि उनकी जगह पर अपने किसी आदमी को बिठा सकें। उनकी ख्याति एक उदारवादी व्यक्ति की थी, इसके अलावा संस्थान में गुजराती वस्तानवी के बाहरी होने का मुद्दा था, जहां का नेतृत्व हमेशा उत्तर प्रदेश या बिहार के उत्तर भारतीय मुसलमान ने की थी।
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