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11 Aug 2011, NewAgeIslam.Com | |
मुसलमानों के ख़िलाफ़ सुब्रमण्यम स्वामी के लेख का जवाब | |
सुहैल अंजुम
जनता पार्टी के अध्यक्ष और इकलौते लीडर सुब्रमण्यम स्वामी का मुसलमानों के खिलाफ़ लिखा गया लेख ज़हर में बुझा ऐसा तीर है जिसने न सिर्फ मुसलमानों के दिलों को तकलीफ पहुँचाई है बल्कि देश के सेकुलर मस्तिष्क को भी कष्ट पहुँचाया है। यही कारण है कि इस लेख पर मुसलमानों से ज़्यादा गैरमुस्लिम बुध्दिजीवी, पत्रकारों और लेखकों ने विरोध किया और स्वामी के खिलाफ कारवाई की मांग की है। स्वामी का लेख, लेख नहीं बल्कि एक ऐसा खतरनाक बम है जिसके निशाने पर इस देश की शांति और खुशहाली है, और यदि इस ज़िंदा बम को नाकाम नहीं किया गया तो इसके बड़े ही खतरनाक और विस्फोटक परिणाम सामने आ सकते हैं। स्वामी के इस लेख को किसी दीवाने की बकवास कह कर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से उन तत्वों का उत्साह बढ़ेगा जो देश में हमेशा हिंदू-मुस्लिम दंगे कराने के प्रयास में रहते हैं, और सहअस्तित्व के सिध्दांत के विरुध्द, हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम चलाने में लगे हुए हैं। स्वामी ने इस लेख में तथाकथित इस्लामी आतंकवाद को खत्म करने के तरीके सुझाए हैं, लेकिन वास्तव में उनका ये लेख देश में एक विशेष प्रकार के आतंकवाद को बढ़ावा देना वाला और मुसलमानों के विरुध्द दुर्भावनाएं भड़काने वाला है। ये लेख स्वयं में एक प्रकार के आतंकवाद का रूप है, और इसका सम्बंध उस कड़ी से है, जिसके नमूने स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और प्रवीण तोगड़िया जैसे लोगों में देखे जा सकते हैं। स्वामी के इस लेख में उठाये गये हर मुद्दे का जवाब दिया जा सकता है, लेकिल इसकी यहाँ गुंजाइश नहीं है। इसलिए इसके कुछ विशेष मुद्दों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
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