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17 Aug 2011, NewAgeIslam.Com | |
क़ुरान पाकः एक शांतिपूर्ण बहुसांस्कृतिक समाज का रक्षक | |
सुहैल अरशद, न्यु एज इस्लाम डाट काम इस्लाम में ईमान का एक हिस्सा ये भी है कि मुसलमान आखिरी नबी पैग़म्बर मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) पर ईमान लाने के साथ - साथ सभी पैग़म्बरों और उन पर अवतरित हुई किताबों पर भी ईमान लायें। इस्लाम धर्म की आसमानी किताब क़ुरान मजीद ने दूसरे धर्मों और उनके खुदाओं को बुरा भला कहने से भी मना किया है। इस प्रकार क़ुरान एक बहुसांस्कृतिक समाज की वकालत करता है, जहाँ सभी धर्मों के मानने वाले शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास रखने वाले हों। |
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