नौकरानियों और कॉल गर्ल्स वगैरह के साथ बग़ैर शादी के यौन संबंध के औचित्य को पेश करने के लिए नकल की जाने वाली कुरान आयात पर नई बसीरतby मोहम्मद यूनुस, न्यु एज इस्लाम
"और तुम में से जो कोई (इतनी) इस्तताअत न रखता हो कि आज़ाद मुसलमान औरतों से निकाह कर सके तो उन मुसलमान कनीज़ों से शादी कर ले जो (शरअन) तुम्हारी मिल्कियत में हैं, और अल्लाह तुम्हारे ईमान (की कैफियत) को खूब जानता है, तुम (सब) एक दूसरे के जिंस में से ही हो, पस इन (कनीज़ों) से इनके मालिकों की इजाज़त के साथ निकाह करो और उन्हें उनके महेर हस्बे दस्तूर अदा करो इससे पहले कि वो (इफ्फत कायम रखते हुए) कैदे निकाह में आने वाली हों, न बदकारी करने वाली हों और न दरपरदा आशनाई करने वाली हों, पस जब वो निकाह के हिसार में आ जायें फिर अगर बदकारी की मुर्तकिब हों तो इन पर उस सज़ा की आधी सज़ा लाज़िम है जो आज़ाद (कुंवारी) औरतों के लिए (मोक़र्रर) है, ये इजाज़ट उस शख्स के लिए है जिसे तुममें से गुनाह (के इर्तेकाब) का अंदेशा हो, और अगर तुम सब्र करो तो (ये) तुम्हारे हक़ में बेहतर है, और अल्लाह बख्शने वाला मेहेरबान है"(4:25)।
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