गुलाम गौस सिद्दीकी, न्यू एज इस्लाम
17 फरवरी 2017
मुसलमान अपने नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपना रोल माडल मानते हैंl नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी में इन्साफ और बख्शिश को नुमाया मुकाम हासिल है, जिसका इज़हार इस हकीकत से होता है कि आप ने अपनी तरफ से कभी किसी से बदला नहीं लिया बल्कि आप ने अपने दुश्मनों को भी माफ़ कर दियाl इसके नतीजे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस मिसाली किरदार ने बहुत सारे संग दिलों का पहलु नर्म किया जिस ने अरब के कुफ्फार व मुशरेकीन को इस्लाम को गले लगाने और मुसलामानों की और आकर्षित होने में अहम किरदार अदा कियाl
एक हदीस के अनुसार जब भी कभी कानूनी किसास का कोई मसला नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में लाया जाता तो आप हमेशा अपनी उम्मत को सब्र करने और मुजरिम को माफ़ कर देने की तलकीन करतेl
अनस बिन मालिक से मरवी है कि: “मैंने हमेशा यह देखा है कि जब भी किसी कानूनी किसास का कोई मामला नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में लाया जाता तो आप झामेशा मुजरिम को माफ़ कर देने की तलकीन करतेl (सुनन अबू दाउद 4497, स्रोत: सहीह)
नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, जो शख्स तकलीफ उठाता है और (उसके जिम्मेदार शख्स को) माफ़ कर देता है, तो अल्लाह उनके दर्जे बुलंद कर देता है, तो अल्लाह उसके दर्जे बुलंद कर देता है और उसके गुनाहों को मिटा देता हैl” (सुनन तिरमिज़ी)
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “अपने लोगों की तरह बेदिमाग मत बनो, और यह ना कहो कि अगर लोग मेरे साथ भलाई करेंगे तो मैं भी उनके साथ भलाई करूँगा और अगर वह मेरे साथ बुराई करेंगे तो मैं भी उनके साथ बुरा बर्ताव करूंगाl बल्कि अगर तुम्हारे साथ भलाई करें तो उनके साथ भलाई करो और अगर वह तुम्हारे साथ बुराई करें तो भी उनके साथ भलाई करने की आदत डालोl” (सुनन तिरमिजी)
उक्बा बिन आमिर बयान करते हैं: मैंने रसूलुल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम से मुलाक़ात की और मैंने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हाथ मुबारक थाम कर यह पूछा, ऐ अल्लाह के रसूल मुझे नेक आमाल के बारे में बताएंl रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “ऐ उक्बा जो तुम्हारे साथ संबंध तोड़े उसके साथ समझौता करो, जो तुम्हें महरूम करे उसे अता करो और जो तुम्हारे साथ भलाई करे उससे दूर हो जाओl
एक दूसरी हदीस में मरवी है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “जो तुम्हारे साथ कता ताल्लुक करे उसके साथ रिश्ते जोड़ो, जो तुम्हें मायूस करे उसे अता करो और जो तुम पर ज़ुल्म करे उसे माफ़ करो, जो कोई रिज्क में इजाफा और अपनी ज़िंदगी में बरकत चाहता है [और खौफनाक मौत से निजात चाहता है], वह अल्लाह से डरे और अपने रिश्तेदारों की मदद और उन पर मेहरबानी करे”l
अल्लाह पाक फरमाता है: “और हमने आपको भेजा मगर सारी जहान के लिए रहमत बना करl” (अल अम्बिया 21:107)
इससे यह ज़ाहिर होता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अलग विशेषता यह थी कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने कहने और करने में ना केवल मुसलमानों केलिए बल्कि पुरी दुनिया के लिए रहमत थेl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तमामतर जानफशानियाँ केवल सारे इंसानों में मुहब्बत, अमन और सुकून बांटने के लिए थींl
सहीह मुस्लिम में मुन्दर्ज एक रिवायत के अनुसार जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दुश्मनों ने अपने अत्याचारों की इंतेहा कर दी तो सहाबा राज़िअल्लाहू अन्हुम अजमईन ने उन पर लानत करने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से दरखास्त कीl इस पर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया, “मैं लोगों पर लानत करने के लिए नहीं बल्कि उनके लिए रहमत बना कर भे जा गया हूँl “आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और आप के सहाबा पर अपने वहशियाना मज़ालिम का सिलसिला जारी रखा लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमेशा उनके लिए दुआ ही कीl
एक मर्तबा जब पैगम्बरे इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ताएफ के रास्ते से गुज़र रहे थे जहां हिजाज के अमीर लोग गर्मी के मौसम में मौज मस्ती करके वक्त गुजारते थे तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दुश्मनों ने इतनी बुरी तरह से आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर पत्थर बरसाए की आप का सारा जिस्म ए पाक लहू लुहान हो गयाl जब पैगम्बर ए इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें इस्लाम की दावत देने की कोशिश की तो उन्होंने आप की हिकमत भारी बातें सुनने के बजाए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पीछे गली के बदमाश बच्चों को लगा दिया जिन्होंने सूरज डूबने तक आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पीछा कियाl इसके बावजूद भी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन पर लानत नहीं भेजीl जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सर से लेकर पाँव तक खून से लत पत हो कर दर्द से पुरे तौर पर चूर हो गए तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने केवल इतना ही फरमाया: “ ऐ मेरे रब मेरी कौम को सच्चे रास्ते की हिदायत नसीब फरमा इसलिए कि वह हकीकत से नावाकिफ हैंl”
एक हदीस के मुताबिक़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक मर्तबा फरमाया “एक सच्चा मोमिन वह है कि जिससे दुसरे लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें और जो नफरत का बदला मुहब्बत से देl नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस बात की वजाहत कर दी कि हमें केवल उन लोगों के साथ ही अच्चा सुलूक नहीं करना चाहिए जो हमारे साथ अच्छा सुलूक करते हैंl केवल मुहब्बत ही का बदला मुहब्बत से नहीं देना चाहिए बल्कि हमें उनके साथ भी अच्छा सुलूक करना चाहिए जो हो सकता है कि हमसे नफरत करते होंl
एक और हदीस के मुताबिक़ एक बार नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया “खुदा की कसम वह मोमिन नहीं है, खुदा की कसम वह मोमिन नहीं है, खुदा की कसम वह मोमिन नहीं हैजिससे उसका पड़ोसी महफूज नहीं हैंl”
इस हदीस से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी को भी तकलीफ दिए बिना दूसरों के साथ फूलों की तरह नरमी के साथ एहना चाहिए काँटों की तरह सख्ती के साथ नहींl नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की महान विशेषताओं में से एक यह है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने व्यक्तिगत तौर पर अपने साथ किये गए किसी भी गलत काम का अपनी तरफ से कभी कोई बदला नहीं लियाl जब क्ल्हुदा के अहकाम की खिलाफवर्जी की जाती थी तभी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सिर्फ अल्लाह के लिए सज़ा का निफाज़ करते थेl
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बीवी हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ीअल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी तकरीर में कभी भी नाज़ेबा, नाशाइश्ता या फहश शब्दों की इस्तेमाल नहीं करते थे और ना ही वह गलियों में आवाज़ बुलंद करते थे, और वह बुराई का बदला बुराई से नहीं देते थे बल्कि वह बख्श और माफ़ फरमा दिया करते थेl कुरैश के लोगों ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को डांटा, उन पर तंज़ किया, मज़ाक उड़ाया, उन्हें ज़द व कोब किया और उनके साथ ज़ियादती कीl उन्होंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जान से मारने की कोशिश की और जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना हिजरत फरमा गए तो उन्होंने उनके खिलाफ जंगों का सिलसिला शुरू कर दियाl इसके बावजूद जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक विजेता की हैसियत से दस हज़ार मुसलामानों की एक फ़ौज के साथ मक्का में दाखिल हुए तो आप ने किसी से भी बदला नहीं लियाl उन्होंने सारे दुश्मनों को माफ़ कर दियाl यहाँ तक कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सबसे खतरनाक दुश्मन अबू सुफियान भी माफ़ कर दिया गया था जिसने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खिलाफ बहुत सारी जंगें लड़ी थीं, और उसे भी माफ़ कर दिया गया था जिसने अबू सुफियान के घर में पनाह लीl
एक बार रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना में किसी जगह अपने सहाबा के साथ तशरीफ फरमा थेl इसी दौरान एक जनाज़ा वहा से गुजराl उस को देख कर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उठ खड़े हुएl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को एक सहाबी ने बताया कि यह जनाज़ा एक यहूदी का थाl इस पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया “क्या वह इंसान नहीं था?”
एक बुढ़ी औरत के घर के पास से जब भी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम गुजरा करते थे तो उस औरत की आदत यह थी कि वह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कूड़ा डालतीl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मस्जिद जाने के लिए रोजाना उसके घर के पास से गुज़रना पड़ता थाl वह बूढी औरत आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कूड़ा फेंकती तब भी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम गुस्सा या तकलीफ का इज़हार किये बिना खामोशी के साथ वहाँ से गुज़र जातेl यह एक रोजमर्रा का मामुल थाl
एक मर्तबा जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस बूढी औरत के घर से गुजर रहे थे तो वह औरत कूड़ा फेंकने के लिए वहाँ मौजूद नहीं थीl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रुक गए और उसके पड़ोसी से उसकी खैरियत पूछीl पड़ोसी ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बताया कि वह औरत बीमार ही बिस्तर पर पड़ी हुई हैl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसके घर गए और शाइशतगी के साथ उससे उसके गहर में दाखिल होने की इजाज़त मांगीl जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसके घर में दाखिल हुए तो उस बूढी औरत ने सोचा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बीमारी की ऐसी हालत में उससे बदला लेने आए हैं कि जब वह अपनी बीमारी की वजह से अपना बचाव करने के काबिल नहीं हैl लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसे इस बात का यकीन दिलाया की मैं तुमसे बदला लेने के लिए नहीं आया हूँ, बल्कि मैं तुम्हारी अयादत करने और तुम्हारी जरूरियात को पुरी करने आया हूँ, इसलिए कि अल्लाह का फरमान है कि गर कोई बीमार हो जाए तो एक मुसलमान की जिम्मेदारी यह है कि वह उसकी अयादत के लिए जाए और जरुरत पड़े तो उसकी मदद करेl वह बूढी औरत आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इस मुहब्बत और रहमदिली से बहुत प्रभावित हुईl और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस मिसाली रवय्ये से वह यह बात समझ गई कि आप अल्लाह के सच्चे रसूल हैं और इस्लाम एक सच्चा दीन हैl और उसने कालिमा शहादत पढ़ इस्लाम कुबूल कर लियाl
इसके अलावा भी बहुत सारी ऐसी हदीसें मौजूद हैं जिनसे यह बात साबित होता है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िंदगी में मज़हब, रंग और नस्ल से परे अमन, रहमत, अफ़व दरगुज़र और इन्साफ का एक मिसाली नमूना हमारे सामने पेश किया हैl इस मिसाल से हमें यह सबक मिलता है कि एहसान और अफ़व दरगुज़र पर कायम रहते हुए प्रतिकूल हालात में सब्र का मुजाहेरा करना नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत हैl लेकिन बदकिस्मती से आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यह प्यारी सुन्नत आज हमारी ज़िंदगी से गायब हो चुकी हैl ना केवल यह कि यह सुन्नत हमारी जिंदगियों से गायब हो चुकी है बल्कि हममें से कुछ लोग इस सुन्नत के खिलाफ भी काम कर रहे हैंl
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